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सब कुछ बदल रहा है

सब कुछ बदल रहा है

            क्यों कर बदल रहा है                                         मुझको तो खल रहा है, 

            क्या तुमको खल रहा है

 यह तुम भी जानते हो,यह मैं भी जानता हूँ

ऋतुएं बदल रही हैं,

             मौसम बदल रहा है 

वायु बदल रही है,

              पानी बदल रहा है 

यह तुम भी जानते हो .…

फल,फूल,बीज,पौधे,

              विष में नहा रहे हैं 

जग जानता है यह सब,

            फिर भी तो खा रहे हैं 

यह तुम भी जानते हो …

शिक्षा बदल रही है,

             दीक्षा बदल रही है 

संस्कृति बदल रही है,

             संस्कार धुल रहे हैं 

यह तुम भी जानते हो ….

क्यों जन बदल रहा है,

             क्यो मन बदल रहा है 

दंगे क्यों हो रहे हैं,

              क्यों देश जल रहा है 

यह तुम भी जानते हो….

जनता बदल रही है,

               नेता बदल रहे हैं 

दलदल में देश जाए,

              यह दल बदल रहे हैं 

यह तुम भी जानते हो….

क्यों तन बदल रहा है,

              क्यों मन बदल रहा है 

शिक्षा के मंदिरों में,

          क्या?कुछ?क्यों?चल रहा है 

यह यह तुम भी जानते हो….

कल के लिए क्या छोड़ा,

           सब हो रहा है थोड़ा 

औलादों का क्या होगा 

            यह मन दहल रहा है 

यह तुम भी तो जानते हो....

एक बार मन में सोचो,

             ऐसा क्यों चल रहा है

सब कुछ बदल रहा है

              क्यों कर बदल रहा है

यह तुम भी जानते ....

 
 
 

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