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मौसम का मिजाज

भोर हो गई फिर भी बच्चे ,

दुबके ओढ़ रजाई

भानू बोला नानू इतनी

ठंड कहाँ से आई

इतना ठंडा पानी जैसे

बर्फ धरी पिघलाई

कैसे उठें हाथ मुँह धोएं

पानी गर्म नआग जलाई

बूनी बोली वर्षा ने तो

हद कर दी इस बार

टूटे बाँध सड़क पुल टूटे

डूबे गाँव शहर घरद्वार

बादल फटे झमाझम बरसे

बरसे कहीं मूसलाधार

ताल तलैया भरे लबा लब

डूबे खेत फसल पशु सार

वान्या बोली गर्मी भी तो

हुई 48 डिग्री पार

फिर सूखे नदी नाले जंगल

वन जीवों में हाहाकार

सड़कें सूनी खेत भी सूने

पेड़ मिलें ना छायादार

बदला नहीं मिजाज मौसम ने

हम ही इसके जिम्मेदार

*उमेश चौहान*

टिमरनी

 
 
 

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